नागरिकता (संशोधन) विधेयक भारतीय संविधान की आत्मा के विरुद्ध : जमीयत उलेमा ए हिंद

नई दिल्ली । जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी और महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने लोकसभा में  नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 पेश करने की मंज़ूरी पर चिंता प्रकट करते हुए उसे भारतीय संविधान की आत्मा के विरुद्ध बताया है। नागरिकता एक्ट 1955 में किया गया संशोधन, भारतीय संविधान की मूलभूत धाराएं 14- 15 के विरुद्ध है जो किसी नागरिक के विरुद्ध के केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग,जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर विभेद की आज्ञा नहीं देतीं।
जमीयत उलेमा ए हिंद इस संशोधन को भारतीय संविधान के विपरीत मानते हुए यह आशा रखती है कि  लोकसभा और राज्यसभा में इसको आवश्यक समर्थन प्राप्त न होगा और यह बिल अपने परिणाम को नहीं पहुंचेगा। जमीयत उलेमा ए हिंद, संविधान एवं सिद्धांतों की समर्थक सभी पार्टियों से अपील करती है कि वह में पूरी क्षमता - शक्ति से इसके विरुद्ध अपना मत प्रयोग करें।